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Tuesday, August 1, 2017

अनंत से अनंत की और

या तो झुकोगे,
या प्रकृति झुकायेगा,
स्वयं झुकोगे,
तत क्षण आनंदित होओगे,
प्रकृति झुकायेगा,
तब तक बंचित रह जाओगे,
पर तब भी आनंद ही है,
क्यूंकि मूल्य जो चुकाया है,
प्रकृति लौटाएगा ही,
क्यूंकि जन्म जन्मांतर से,
तुम उसी आनंद की और हो,
कस्ट बेदना से होते हुए,
अनंत से अनंत की और,
अनंत में लीन बिलिन होजाओगे,

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