Pages

Friday, January 1, 2016

अक्षय सुख के विपुल भंडार

सत्य, धर्म, कर्तब्य पालन,
पुरुष के पुरुषार्थ से,
समुद्र मंथन और साहस,
अहंकार के त्याग से,
सहज स्वक्ष प्रेम स्नेह,
भीतर के आवाज(बुद्धि-विवेक) से,
प्रार्थना आशीर्वाद और सहयोग,
प्रारव्ध के स्वीकार्य से,
आप हरपल समृद्ध होते है,
अक्षय सुख के विपुल भंडार से,