स्वर्ण जयंती जवाहर
स्कूल,
ऐसा सावन लाया है,
चेहरे खिलने लगे है,
बिछरे मिलने लगे हैं,
खुशियों का आंशु
भावविभोर,
सभी झूम रहे है चरों
ओर,
उंच-नीच-भेदभाव-अहंकार
से मुक्त,
सबके शिश झुकने लगे
है,
नए-पुराने शिक्षक-विद्यार्थी,
फिर से एक प्रांगन
में,
ज्ञान का सन्देश,
गुरु का आशीष,
मधुर स्वरों में
बहने लगे है,
सबके मन गुनगुनाने
लगे है,
तनमन सब थिरकने लगे
है,
एक दुसरे को
गोरवान्वित करने को,
सबके सब हाथ बटाने
लगे है,
स्मृतियाँ ताजि हो
गयी,
वर्तमान सुन्दर
सुवाषित लगने लगा है,
भविष्य भी उज्जवल दिखने
लगा है,
उच्च आदर्शो को लिए चले थे .....
स्वर्ण जयंती की वारिस
में भी भीग-भीग कर,
उर्जावान हो सबके सब
चलने लगे है,
एक दुसरे की खुशियों
में शामिल,
मन से मन मिलने लगे है,