Pages

Wednesday, October 1, 2014

जिवंत होने का प्रमाण

समझने की,
कुछ जानने की,
आदत,
रोमांचित करती है,
हर पल जीवित रखती है,  
जित की ख़ुशी,
हार का दर्द,
मिलने का रस,
बिछड़ने का छोभ,
सफलता-बिफलता,
आशा-निराशा,
सुख-दुःख,
महशुस होता है,
संबेद्नाये प्रकम्पित करती है,
भीतर तक गहरे,
प्रभाबित करती है,
बस “बुलबुले” के फूटते ही,    
सब कुछ अदभुत सा लगता है,
रोमांचित सा करता है,
विविध विद्या-कला,
शब्द-रूप-रस-गंध-स्पर्श,
में लीन बिलिन,
शुध-बुध खो सा जाता है,
स्वयं दृश्य और स्वयं ही द्रष्टा,
स्वप्न से बहार जीवित-जागृत,
जिवंत होने का ही तो प्रमाण है,