आश्चर्य है,
मेरी कमजोरी,
मेरी असमर्थता,
मुझे घुटने पे आने नहीं देती,
बच्चे सा जिद नहीं करने देती,
आज अगर मै,
मजबूत होता,
समर्थ होता,
तो लेट गया होता,
तुम्हारे कदमो में,
और,
घुटने टेक तुम्हारा साथ मांगता,
विडम्बना है,
पहली बार,
किसि कमजोर को,
असमर्थ को,
उसकी असमर्थता के कारन ही,
झुकते हुए नहीं देख रहा,
1 comment:
Very Nice Poem
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