एक आश्चर्य,
जितनी ही कोशिशे करता हूँ,
कुछ साफ-साफ बताने की,
कुछ साफ-साफ समझाने की,
बात अगर विश्वसनीयता की हो,
तो वो भ्रम ही उत्पन्न करता है,
प्रमाणिकता सापेक्ष ही होती है,
ठीक उसी तरह,
जैसे की अणुओं का टकराना,
और उसका पैटर्न ना समझ पाना,
उर्जा का प्रवाह ही सब कुछ है,
जो अनंत आयामों से,
अनिश्चितता की रचना करता है,
और यही इसका रहष्य है,
जो मानव मष्तिस्क के रोचकता,
की कहानी कहता है,
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