सम्बन्धो के खटास को,
फुफूद बनने से पहले,
धो ले अन्यथा अगर,
इसने बीमारी का रूप ले लिया,
तो फिर महामारी में परिणत होगा,
और इसकी कोई दबा ना होगी,
और महामारिया किसी एक को नहीं,
आबादी को समाज को नस्ट करती है,
हर बीमारी की तरह,
सम्बन्धो में खटास भी,
मानसिक संकीर्णता और,
ओछेपन से ही आती है,
जब एक दुसरे पर किचर उछाली जाती है,
इसी से फुफूद का जन्म होता है,
और जैसा की हम जानते है,
परहेज ही निबारन है,
एक दूसरे को क्षमा करना,
एक दुसरे की कमी को सहना,
स्वस्थ्य सम्बन्ध बनता है,
स्वस्थ्य सम्बन्ध ही स्वस्थ्य समाज,
और स्वस्थ्य समाज ही,
स्वस्थ्य राष्ट्र का निर्माण करता है,
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