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Saturday, May 25, 2013

जीवन के अनमोल छन.....


कुछ लोग,
अपनी ही किस्मत,
अपने ही पैड़ो रोंन्धते हैं,
अरमानो के झूले पे बैठ कर भी,
उदासी का रोना रोते है,
स्वर्ग में भी खुश नहीं,
दुःख माथे पे लिखवा के आते है,
संतो को खिझाने के चक्कर में,
हरदम बुझे-बुझे से रहते है,
संत तो कभी खिझते नहीं,
क्योंकि !!!!!
वे तो अपेक्षा रहित होते है,
पर !!!!!
इसके बिपरीत,
खिझाने बाले सदा,
नई-नई तरकिवों की उधेरबुन में रहते है,
फूलों पे बैठ के भी,
उसकी खुसबू से बेखबर,
आरोप-प्रत्यारोप का जीवन जीते है,
जीवन के अनमोल छन,
व्यर्थ ही खोते चले जाते हैं,

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