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Saturday, November 10, 2012

संबैधानिक पहचान


एक दिन की बात है,
जा रहा था एक मैथिलि प्रोग्राम में,
दूर देश में,
निज भाषा की प्रेम में,
तभी रास्ते में,
एक कार बाले श्रीमान से,
पूछ लिया मैंने,
किधर से जाना है रामलीला मैदान?
उन्होंने कुछ उत्तर दिया नहीं,
अटपटा सा खड़ा रहा,
मैं चुप रहा थोड़ी देर,
बरे धैर्य से, विनम्रता से,
फिर पूछ लिया दुबारा,
इस बार बरे ताव से,
वे घुमे मेरी ओर,
फिर आँखें लाल करके,
डांटते हुए बोले,
जानते नहीं हो मैं कौन हूँ?
मैंने कहा नहीं सर,
फिर वे और गरजे,
बोले मैं जज हूँ जज,
यही कोर्ट आफ कंटेम्प्ट हो जायेगा,
फिर पता तुम्हे चल जायेगा,
मैं कौन हूँ?
मैं स्तव्ध सा खड़ा रहा,
वे फिर बोले,
 चल हट बिहारी कहीं के,
मुझे आ गयी हंसी,
मैंने सोचा, चलो चलते है,
बात नहीं इससे करते हैं,
ये मुर्ख अहंकार से ग्रसित है,
तभी तो जानबर सी बुद्धि है,
कुत्ते सा कहीं काट खायेगा,
लेने के देने मुझे पड जायेंगे,
जब ये गरजेगा,
सरकारी झुण्ड भी गरजेंगे,
विनम्रता इसके पास नहीं,
डंडे का ज्ञान समझायेगा,
उसकी समझ “मैं कौन हूँ है”
और मेरी “मैं कुछ नहीं”
फिर वह कुंठा का शिकार है,
नियम न्याय का अधिष्ठाता है,
इसीलिए तो नियम बनाता-तोड़ता है,
संविधान ने दिया है अधिकार,
बोलने का, समानता का,
भारत की अखंडता का,
जन गण होने का,
मैंने वही तो किया था,
जो उससे प्रश्न कर बैठा,
मुझे क्या मालूम था?
संबिधान ने ही बांटा है,
सबको यूनीनिफ़ोर्म में,
आइडेनटीटी कार्ड में,
सरकारी गैर सरकारी में,
उसी ने ये “क्लास” बनाई है,
ये बात अलग है की,
धर्म जाती को तोड़ कर,
मानवता को जोड़ता है,
समानता इसी को कहता है,
पर ! अजीब है ये बात,
सब कहते है कानून अंधा होता है,
ये सच भी है,
पर ! मैं मुर्ख,
अन्धो के बिच चश्मे की बाते करता हूँ,
अलग-अलग रंगों के कपडे,
अलग-अलग पद के बटबारे,
कैसे बाँटा अंधेपन में,
इसे क्या पता था,
भिन्न-भिन्न को एक बना के,
कैसे भिन्न-भिन्न कर डाला,
बेचारे जज ने क्या किया?
थोड़ी कुंठाए ही तो निकाली,
और थोड़ी संबैधानिक पहचान ही तो बताई,
मुझे भी संबिधान ने कुछ दिए है अधिकार,
मुस्कुराते रहने का,
चुपचाप चलते बनने का,
संबिधान की इज्जत करते रहने का |    

2 comments:

Unknown said...

Dear Pankaj Ji, very nice to read your poem. Thanks for this great peom to keep the correct in front of x-biharis.

पंकज कुमार झा said...

Thanks a lot my unknown friend ..... :)