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Monday, July 2, 2012

ह्रदय का पत्थर होना ही तुम्हे बचा सकता है


ये कलयुग है,
यहाँ सच की आग में,
सच ही जलता है,
और झूठ का अट्टहास,
सच का चिर हरण करता है,
अपने अस्तित्व से लड़ता,
सच मौन ही रहता है,
यहाँ झूठ लंगराता नहीं,  
सच बैशाखी पर चलता है,
जब उजाला सूरज से नहीं,
बल्ब से होता हो,
विज्ञान स्वं जब रक्त का प्यासा हो,
दानव देव के लिबास में,
और देबता नंगा भूखा हो,
  तब नकाब ही तुम्हे जिन्दा रख सकता है,
ह्रदय का पत्थर होना ही तुम्हे बचा सकता है,

कभी तो हाथ पकड़ लो मेरा

काश कभी ऐसा होता,
तुम्हारी आँखों में,
तुम्हारी सपने दिख जाती,
और मैं उसमे रंग भर पता,
उसे अपना गीत बना पता,
मेरे सपने तुम्हारी मीत बन जाती,
चुपके से ही सही,
दिल में बात उतर जाती,
ठहरी हुई आँखों की चमक,
धरकनो को दिखा जाता,
और ये दुरी मिटा जाता,
कैसे कहूँ जो कहना है,
इन एहसासों को कैसे सहना है,
कैसे आँखों में खो सा जाता हूँ,
तुम्हारे सामने लाचार हो जाता हूँ,
कभी तो हाथ पकड़ लो मेरा,
की समय पूरब की करवट ले,
और उजाला ही उजाला हो,