ये कलयुग है,
यहाँ सच की आग में,
सच ही जलता है,
और झूठ का अट्टहास,
सच का चिर हरण करता है,
अपने अस्तित्व से लड़ता,
सच मौन ही रहता है,
यहाँ झूठ लंगराता नहीं,
सच बैशाखी पर चलता है,
जब उजाला सूरज से नहीं,
बल्ब से होता हो,
विज्ञान स्वं जब रक्त का प्यासा हो,
दानव देव के लिबास में,
और देबता नंगा भूखा हो,
तब नकाब ही तुम्हे जिन्दा रख सकता है,
ह्रदय का पत्थर होना ही तुम्हे बचा सकता है,