ह्रदय पर बारम्बार,
आघात प्रघात से,
सितार की तरह,
मेरी चीत्कार,
तुम्हे नई राग सी लगती है,
मेरे ह्रदय की ब्यथाएँ,
पता नहीं क्यूँ ?
तुम्हे और ख़ुशी देती है,
मुझे सहमाने को उद्धत,
तुम कभी थकते नहीं,
घुटन भरी सिसकियों,
के राग का बिज्ञान,
मुझे समझ आता नहीं,
कैसे किसी को व्यथित कर,
कोई ख़ुशी से झूम उठता है,
इस सृष्टी की ये....
अजीब अनकही दास्ताँ है......